डी-डिमर परीक्षण किट (शुष्क प्रतिदीप्ति इम्यूनोएसे)
डी-डिमर का नैदानिक महत्व
डी-डिमर का नैदानिक पता लगाने का उपयोग मुख्य रूप से शिरापरक थ्रोम्बोम्बोलिज्म के निदान में किया जाता है(वीटीई), फैलाना इंट्रावास्कुलर जमावट (डीआईसी), गहरी शिरा घनास्त्रता (डीवीटी), फुफ्फुसीय एम्बोलिस्म (पीई), मायोकार्डियल इंफार्क्शन, सेरेब्रल इंफार्क्शन इत्यादि।
बढ़े हुए डी-डिमर मान द्वितीयक हाइपरफाइफाइब्रिनोलिसिस में देखे जाते हैं, जैसे हाइपरकोएग्युलेबिलिटी,डीआईसी, किडनी रोग, अंग प्रत्यारोपण अस्वीकृति, और थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी।
मायोकार्डियल रोधगलन, मस्तिष्क रोधगलन, पीई, शिरापरक घनास्त्रता, सर्जरी, ट्यूमर, संक्रमण,और ऊतक परिगलन भी डी-डिमर के बढ़ने का कारण बन सकता है।
यह आपातकालीन विभाग में डी-डिमर परख के उपयोग का दृष्टिकोण है
संचालन के चरण
परिणाम की व्याख्या
डी-डिमर | माप सीमा | 0.1-10μg/mL |
कट-ऑफ मूल्य | 0.5μg/एमएल |
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